विद्यार्थियों के सामने की अभद्र भाषा का प्रयोग, दिव्यांग प्रधानाचार्य को मारने का किया प्रयास, विद्यालय विवाद में ककवन एसएचओ की संदिग्ध भूमिका, श्री कमासी देवी इंटर कॉलेज पर हमला होते ही घबरा है बच्चे बच्चों ने किया हमलावरों का डटकर सामना, आरोप है कि विपिन कुमार शुक्ला ने फर्जी हस्ताक्षर कर रजिस्टर्ड करवाई दूसरी संस्था
युवा गौरव। सुनील चतुर्वेदी
कानपुर। शिवराजपुर मे कथित फर्जी पैरलर समिति संचालकों ने विद्यालय में घुसकर की अराजकता, बताते चलें श्री क्रमासी देवी सेवा शिक्षा समिति के नाम से विपिन कुमार शुक्ला ने समिति गठित की जिसका समस्त पदाधिकारियों ने मिलकर विद्यालय पर पुलिस के साथ हमला बोल दिया। विद्यालय के दिव्यांग प्रधानाचार्य अनिरुद्ध यादव को अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए मारने के लिए आतुर हो गए। विद्यालय स्टाफ व बच्चों ने शोर मचा कर हमलावरों को रोका। जिसकी शिकायत अनिरुद्ध यादव ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से की है।
एसएचओ ककवन की भूमिका संदिग्ध
वहीं दूसरी ओर एसएचओ ककवन को मुकदमा संख्या साथ ही आदेश की छाया प्रति देते हुए अवगत कराया गया था कि किसी भी समय आरजक तत्वों का हमला विद्यालय पर हो सकता है। जिस को नजरअंदाज करते हुए एसएचओ ने उल्टा फर्जी संस्था संचालकों का सहयोग करते हुए विद्यालय पर दबाव डालने का प्रयास किया। वहीं दूसरी ओर विद्यालय के बच्चों ने आरोप लगाया है थानाध्यक्ष व उनकी टीम ने उनके साथ भी गाली गलौज की है। प्रधानाचार्य के अनुसार जिसकी लिखित शिकायत वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को दी गई है।
एसएचओ ककवन ने मीडिया को किया गुमराह
युवा गौरव द्वारा जब एसएचओ ककवन से संपर्क किया गया तो उन्होंने मौखिक रूप से बताया कि विद्यालय द्वारा उनको बुलाया गया था। जिसका शिकायती पत्र उनके पास उपस्थित है। लेकिन जब संवाददाता द्वारा पत्र का अवलोकन किया गया तो उस पत्र में साफ तौर पर जिक्र किया गया था कि किसी भी समय विद्यालय में मीटिंग करने हेतु बाहरी लोग प्रवेश कर सकते हैं। जिससे विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था डगमगा सकती है इसलिए जबकि एसएचओ उल्टा विद्यालय पर दबाव बनाने के लिए दल बल के साथ आये। ना कि रोकना उचित समझा, जबकि मामला कोर्ट में विचाराधीन होने के साथ-साथ निर्देशावहन हो चुका है
आइए जाने विद्यालय के बारे में
लगभग 40 वर्ष पहले श्रीराम यादव द्वारा श्री कामाक्षी देवी इंटर कॉलेज की स्थापना नदिहा बुजुर्ग शिवराजपुर में की गई। उस समय स्थापित की गई कमेटी में 12 सदस्य जो कि लगातार 2014 तक बने रहे, जिसमें प्रबंधक के पद पर रामगोपाल शुक्ल थे इनकी मृत्यु के बाद श्रीराम यादव के अनुसार इनका कार्यभार समाप्त हो चुका था।
2 बीघे में बने स्कूल भवन पर लालच से शुरू हुई विवाद की जड़
युवा गौरव टीम को अवगत करवाया गया कि पिता रामगोपाल शुक्ल की मौत के बाद उन्हीं का पुत्र विपिन कुमार शुक्ला ने 2 बीघे पर बने विद्यालय पर अपना आधिपत्य जमाना चाहा, जिसके लिए उसने साम दाम दंड भेद सभी का सहारा लिया। आखिर में उसने फ्रॉड करते हुए एक दूसरी समिति उस विद्यालय पर आधिपत्य जमाने के लिए स्थापित की। जिसमें पूर्व की समिति के अध्यक्ष को फर्जी (सिर्फ नाम लिखकर) शामिल किया।
पैसे व रसूखदारी के बलपर व फर्जी हस्ताक्षर, व रजिस्ट्रार से मिलकर किया गोलमाल
अब शुरू होता है विद्यालय पर आधिपत्य जमाने का खेल। बताया गया की सबसे पहले विपिन कुमार शुक्ला ने एक समिति में सदस्यों की नियुक्ति की। उसके बाद अध्यक्ष की फर्जी हस्ताक्षर की सहायता से यानी कि हस्ताक्षर को खुद या दूसरे से करवा कर अध्यक्ष की उपस्थिति दर्ज करवाई। उसके बाद संस्था की होने वाली बैठक सिर्फ कागजों में दर्ज कराते हुए मानकों को पूरा करने का ढोंग रचा और उसी का सहारा लेकर रजिस्टार से मिलकर फर्जी समिति गठित कर दी और ठोक दिया दावा विद्यालय पर। बताते चलें बड़े नेताओं व रसूखदारी का रंग इस घटना में साफ तौर पर देखा जा सकता है।
नई समिति में है यह सदस्य, वही है हमलावर- अनिरुद्ध कुमार
वही नई गठित समिति पूरी टीम लगभग लखनऊ की है उसमें विपिन कुमार शुक्ला, वौइस् कुमार शुक्ला, रामनिवास शुक्ला नारायण कुशवाहा, सोनेलाल, योगेंद्र सिंह आदि उपस्थित रहे।