सीतापुर : आखिर कैसे रूके हैवानियत भरे यह अपराध ?
 


युवा गौरव। जितेंद्र मिश्रा

 

सीतापुर। हैदराबाद और उन्नाव में हुए बलात्कार और हत्या से पूरे देश में एक बार फिर जहां व्यवस्था के प्रति आक्रोश है वही समाज के आम आदमी के मन में अपनी बच्चियों को लेकर चिंता भी बढ़ी है। निर्भया, कठुआ, मंदसौर, हैदराबाद, उन्नाव कांड  की हैवानियत भरी दस्ताने  तो उस शर्मनाक किताब के कुछ वीभत्स पन्ने हैं जिसमें बच्चियों, लड़कियों के साथ हुई दर्दनाक दरिंदगी की लाखों वारदातें आज भी चीख चीख कर अपना दर्द बयां कर रही हैं लेकिन हालात इससे बहुत ज्यादा बदतर हैं।

 

 

 "बलात्कार पर मीडिया की कुछ खास रिपोर्ट्स"

 

 मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश में हर साल 40 हजार हर रोज 109 लड़कियों की अस्मत पूरे देश में लूटी जाती है। इस रिपोर्ट में यह भी दर्ज है कि पिछले 10 साल में करीब 2.79 लाख रेप के मामले दर्ज किए गए। इसी रिपोर्ट में यह भी लिखा है कि हर वर्ष 2000 ऐसे मामले होते हैं जिसमें पीड़िता का गैंगरेप किया जाता है जबकि अन्य मीडिया रिपोर्ट्स में बलात्कार के मामलों की जो जानकारियां बताई जा रही हैं उसके मुताबिक पश्चिम बंगाल में एक नाबालिग स्कूली छात्रा के रेप और हत्या के मामले में धनंजय चटर्जी नामक व्यक्ति को 14 अगस्त 2004 को फांसी पर लटकाया गया था तब से अब तक करीब चार लाख बलात्कार के मामले हो चुके हैं लेकिन किसी भी बलात्कारी को इन 10 सालों में फांसी पर नहीं लटकाया गया।

 

 

"रंगा, बिल्ला को बलात्कार में फांसी"----

 

धनंजय चटर्जी के अलावा बलात्कार के साथ निर्मम हत्या करने के जिस सबसे चर्चित केस में सजा-ए-मौत दी गई वह दिल्ली का मामला था 1978 में दो नाबालिग भाई बहनों संजय चोपड़ा और गीता चोपड़ा को दो हैवानो ने कार में किडनैप कर लिया था और फिर उसी दिन पहले संजय चोपड़ा की चाकुओं से गोदकर हत्या की गई फिर गीता चोपड़ा के साथ बलात्कार करके उसकी भी चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई। देश को झझकोर  देने वाले इस मामले में 31 जनवरी 1982 को दिल्ली की तिहाड़ जेल में रंगा और बिल्ला नाम के दो दरिंदों को फांसी पर लटकाया गया था।

 

 

"हैदराबाद और कठुआ मामलों का न्याय तथा फूलन देवी के मामले से प्रतिशोध की आग में झुलसी न्याय व्यवस्था"------

 

अगर हम हैदराबाद और कठुआ दोनों केसों को एक साथ रखकर अध्ययन करें तो पाएंगे कि हैदराबाद का नाटकीय एनकाउंटर अगर कठुआ में भी हो गया होता तो एक निर्दोष विशाल जंगोत्रा उस गुनाह की सजा पाता जिसमें वह शामिल ही नहीं था। अगर फूलन देवी का मामला देखें तो बलात्कार के बाद न्याय के नाम पर जो प्रतिशोध की आग जली उसमें 14 फरवरी 1981 को बेहमई में 22 ठाकुरों की हत्या हुई और फूलन देवी को बैंडिड क्वीन कहा जाने लगा। आत्मसमर्पण के बाद मुलायम सिंह यादव की कृपा से चुनी हुई जनप्रतिनिधि बनी फूलन देवी की दिल्ली में 25 जुलाई 2001 को शेर सिंह राणा ने हत्या कर दी जिसमें अंततः न्यायालय ने शेर सिंह राणा को आजीवन कारावास की सजा सुना कर हत्याओं के दौर को समाप्त किया। इन मामलों से यह निष्कर्ष निकला कि न्यायपालिका ही न्याय करें तो बेहतर है वरना बदले और प्रतिशोध के नाम पर न्याय करने से हत्याओं का दौर भी शुरू हो जाता है जिसमे दोषी और निर्दोष दोनो शामिल होते हैं।

 

 

"बलात्कार पर व्यापक चर्चा और सुधार की आवश्यकता".....

 

बीते वर्षों की अपेक्षा जब हर कार्य क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है तब महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते यह यौन अपराध पूरे देश के लिए चिंता और शर्मिंदगी का सबब बने हुए हैं। अब प्रश्न इस बात का है कि इन घृणित अपराधों को रोका कैसे जाये? सख्त कानून और त्वरित न्याय के द्वारा या इसको रोकने में अन्य तरीके भी मददगार हो सकते हैं जब पीड़ित भी इसी समाज की है और बलात्कारी भी इसी समाज का है तो मेरी निजी राय में इस विषय को विस्तृत रूप से समझने और विभिन्न चरणों में सुधार करने पर इन अपराधों पर काफी हद तक रोक लगाई जा सकती है।

 

1- हम लोगों को न्यायपालिका को कोसने के साथ साथ सरकार से भी यह पूछना होगा कि मुकदमों के बोझ से दबी अदालतों के लिए जजों और नई अदालतों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई- बनाई जा रही है और वकीलों की बात बात पर होने वाली हड़तालों को भी रोकना होगा जिससे न्याय में होने वाली देरी को रोका जा सके।

 

2- बढ़ते अपराधों पर सबसे ज्यादा गाली खाने वाली पुलिस की संख्या और तनख्वाह तथा साजो सामान भी बहाना होगा इसके साथ साथ पुलिस पर राजनीतिक प्रभाव भी कम करना होगा जिससे वह बेहतर और निर्भीक तरीके से मामले की शीघ्र विवेचना कर के दोषी को जेल तक पहुंचा सके।

 

3- हमें बच्चों के चरित्र निर्माण पर भी ध्यान देना होगा। हमें बच्चों को शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें संस्कारी और नैतिक गुणों से भी सवारना होगा।

 

4- इसके अलावा शहरों में चलने वाले पब, हुक्का बार, मसाज पार्लर, स्पा जैसे केंद्रों पर भी ध्यान देना होगा जो नशा, अश्लीलता और जिस्मफरोशी का केंद्र बनते जा रहे हैं यह सब करने के साथ-साथ हमें मध्य प्रदेश हनी ट्रैप जैसे मामलों और राम रहीम की शिष्य हनीप्रीत जैसी लड़कियों की कारगुजारियों पर भी लगाम लगानी होगी। मध्यप्रदेश हनीट्रैप जैसे मामले भारत के हर बड़े शहर में बढ़ते जा रहे हैं लेकिन इस पर व्यापक चर्चा से लोग कतराते हैं।