छटीं है धुंध चन्द्रमा अस्त
स्वर्णिम किरणों का उजियार ।
तिमिर के अश्व हुए हैं पस्त
उठो अब जागो कृष्ण मुरार।।
बरसती प्रेम सुधा चहुँ ओर
नवल ऊर्जा का हृद संचार ।
उदित दिनकर की मधुरिम भोर
सरित की धवल बही रस धार ।।
क्षितिज में प्राची का अरुणाभ
लालिमा बिखर रही हर छोर ।
विभा का सकल धुला विमलाभ
तरुणता बधीं प्रीत की डोर ।।
प्रकृति के अधरों पर मुस्कान
धरा के आंचल में आनन्द ।
शाख पर विहग करें मृदु गान
पवन भी सुरभित बहती मन्द ।।
प्रस्तुति:- युवा गौरव न्यूज़
कवियत्री:- रीना गोयल
सरस्वती नगर
हरियाणा