खोजने पर भी नहीं दिखते ये महानुभाव


 भारत से आजादी तक जंग रहेगी जारी , तुम कितने अफजल मारोगे हर घर से अफजल निकलेंगे , अफजल हम सर्मिन्दा हैं तेरे कातिल जिंदा हैं , के नारे लगाने वालों के साथ खडे लोग , छोटी छोटी घटनाओं पर एवार्ड वापिसी करने वाला बुद्धिजीवी वर्ग , इस तथाकथित टुकडे टुकडे गैंग को समर्थन करते हुये इन्हें संवैधानिक मान्यता देने वाले वो बुद्धिजीवी व राजनीतिक पुरोधा मानवाधिकार संगठन के वो लोग आज कहां हैं ?
         आज जब सम्पूर्ण विश्व करोना वाइरस संकृमण महामारी से जूझ रहा है तथा प्रत्येक राष्ट्र अपनी अपनी शक्तियों के अनुरूप इससे बचाव के उपाय कर रहा है , बडे बडे मुस्लिम राष्ट्र लॉकडाउन का अनुपालन करते हुये मजहबी गतिविधियों को परिस्थितियों के अनुरूप ढालकर ऐतिहासिक मस्जिदें बंद करके मानवजीवन सुरक्षित कर रहे हैं , लेकिन भारत में परिस्थितियां इसके विपरीत हैं ।
          छोटी छोटी घटनाओं पर मानवाधिकार की दुहाई देने वाले मानवाधिकार के वो संरक्षक आज पता नहीं कहां हैं जब पूरे देश में मानवाधिकारों का खुला उलंघन हो रहा है , देवतुल्य डाक्टर्स पर जानलेवा हमले हो रहे हैं , सुरक्षा कर्मियों पर प्राणघातक हमले हो रहे हैं , स्वास्थ्य व सुरक्षा कर्मियों पर कोरोना बाइरस संकृमण फैलाने की नीयत से थूकना व गंदगी फेकनें जैसी घटनाएं हो रही हैं , करोना संकृमित जमाती आज भी बदनीयती से मस्जिदों से बाहर नहीं निकल रहे तथा उन्हें कतिपय लोग संरक्षण भी दे रहे हैं , देश भर में जगह जगह स्वास्थ्य व सुरक्षाकर्मियों पर हो रहे हमले पूरा देश देख व सुन रहा है !
        उपरोक्त तमाम घटनाक्रमों के बाद भी आज कोई बुद्धिजीवी राष्ट्रहित में अपना एवार्ड वापस करने आगे नहीं आया , न ही इन पत्थर बाजों पर एवं साजिशन थूकने व संकृमण फैलाने वालों के बिरूद्ध किसी ने निंदा करने का ही साहस ही किया ।
           वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय महामारी के संकट में भारत के वो बुद्धजीवी जो टुकड़े - टुकड़े गैंग को सच्चा राष्ट्रभक्त बताने में नहीं थकते थे तथा उन पर कार्यवाही पर वो लोग मानवाधिकार की दुहाई देते देखे जाते थे , आज वो किस लॉकडाउन में कहां छिपे बैठे हैं , उनका कहीं पता नहीं चल रहा ।
         वर्तमान हालात में ऐसा लगता है जैसे राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त लोगों का समर्थन करना ही उनका मुख्य उद्देश्य है , राष्ट्रीय हितों पर उनकी कोई रूचि ही नहीं हैं , इसीलिए वो सब खामोश रहकर इन विकट षडयंत्रकारी राष्ट्रद्रोही घटनाओं पर अपना मूक समर्थन व्यक्त कर रहे हैं ।
    आज सम्पूर्ण देश वासियों को गम्भीरता पूर्वक विगत और वर्तमान की परिस्थितियों पर तुलनांत्मक चिंतन करने की आवश्यकता है , तथा हम सब को भारत के उज्जवल भविष्य की चिंता करते हुये वर्तमान कोरोना वाइरस संकृमण से धैर्य व संयम का अनुपालन करते हुये विजयी होकर राष्ट्र निर्माण में संलग्न होना है ।