कविता : मौसम भी भेदभाव करता है




मौसम भी भेदभाव करता है,
किसी के लिए खुशियां तो किसी के लिए मुसीबत है,
कुछ लोग हर साल इस मौसम का इंतजार करते हैं,
कुछ लोग सर्दी से ठिठुरते रहते हैं,
घर की चार दीवारों के बीच भी हमको ठंड सताती है,
घर के बाहर पशु और जरूरतमंद न जाने कैसे अपना जीवन जीते हैं,
मौसम भी भेदभाव करता है,
लोगों के लिए खुशियां और जरूरतमंद को मुसीबत का सामना करवाता है।
एक ओर बर्फ की चादर से ढके पहाड़ों को लोग दूर दूर तक देखने जाते हैं,
दूसरी तरफ जरूरतमंद इस ठंड के कहर से अपनी जान बचाने के लिए छत ढूंढते हैं।।
ना जाने कैसी सृष्टि की माया है,
एक ओर ठंड घरों में खुशियां लाती है,
तो दूसरी तरफ लोगों के दुख का कारण बन जाती है।
मौसम भी भेदभाव करता है।




युवा गौरव। निहारिका चौधरी



खटीमा उत्तराखंड


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